Anganwadi Workers Salary Hike भारत में महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सरकार लगातार कई योजनाएं चला रही है। इन्हीं योजनाओं में से एक महत्वपूर्ण कड़ी है आंगनवाड़ी सेवाएं, जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर वर्गों को पोषण, स्वास्थ्य और प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराती हैं।
लेकिन वर्षों से इन सेवाओं को संचालित करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं बेहद कम पारिश्रमिक में कार्य कर रही थीं। हाल ही में गुजरात हाई कोर्ट के एक ऐतिहासिक निर्णय ने इन महिलाओं के जीवन में नई उम्मीद जगाई है, क्योंकि अब उनके वेतन में अभूतपूर्व बढ़ोतरी की गई है।
यह फैसला सिर्फ वेतन वृद्धि नहीं है, बल्कि आंगनवाड़ी कर्मचारियों को उनके अधिकार और सम्मान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
आंगनवाड़ी वेतन तुलना सारणी
| पद | पहले वेतन (प्रति माह) | नया वेतन (प्रति माह) | बढ़ोतरी का अंतर |
|---|---|---|---|
| आंगनवाड़ी कार्यकर्ता | ₹10,000 | ₹24,800 | ₹14,800 |
| आंगनवाड़ी सहायिका | ₹5,500 | ₹20,300 | ₹14,800 |
आंगनवाड़ी कर्मचारियों की भूमिका क्यों है इतनी जरूरी?
आंगनवाड़ी केंद्र देश की नींव मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये केंद्र खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के परिवारों के बच्चों और महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा कवच का काम करते हैं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं निम्न कार्य करती हैं:
- 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों को पोषण आहार सुनिश्चित करना
- गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण व स्वास्थ्य सलाह देना
- प्रारंभिक शिक्षा और टीकाकरण अभियान में सहयोग
- सरकारी योजनाओं की जानकारी समाज तक पहुंचाना
इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने के बावजूद उनका वेतन अब तक बहुत कम था, जिससे उनका जीवन काफी कठिन हो गया था।
वेतन वृद्धि: एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बदलाव
गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब आंगनवाड़ी कर्मचारियों और सहायिकाओं के वेतन में कई गुना बढ़ोतरी कर दी गई है। पहले जो वेतन मात्र गुजारे लायक था, अब वह एक सम्मानजनक वेतन में बदल गया है।
पहले और अब के वेतन में अंतर देखें तो यह बढ़ोतरी ऐतिहासिक कही जा सकती है।
- पहले कार्यकर्ता को मिलते थे: लगभग ₹10,000 प्रतिमाह
- अब कार्यकर्ता को मिलेंगे: ₹24,800 प्रतिमाह
- पहले सहायिका को मिलते थे: लगभग ₹5,500 प्रतिमाह
- अब सहायिका को मिलेंगे: ₹20,300 प्रतिमाह
इस फैसले से गुजरात की लगभग 1 लाख से अधिक आंगनवाड़ी कर्मचारियों को सीधा फायदा मिलेगा, जो लंबे समय से न्यूनतम वेतन की लड़ाई लड़ रही थीं।
अदालत के फैसले की संवैधानिक भूमिका
गुजरात हाई कोर्ट की खंडपीठ जिसमें जस्टिस सुपेहिया और जस्टिस आर.टी.ओ. वचाहानी शामिल थे, ने अपने फैसले में कहा कि इतना कम वेतन देना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन है।
अदालत का कहना था कि:
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कोई “स्वैच्छिक” सेवक नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिलना चाहिए।
- राज्य सरकार को, केन्द्र के साथ मिलकर या अपने संसाधनों से, न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना होगा।
यह निर्णय सिर्फ गुजरात तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
कब से लागू होगा नया वेतन?
हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार यह नया वेतन 1 November 2025 से लागू होगा।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि:
- कर्मचारियों को पिछली तारीख से एरियर मिलेगा
- एरियर की राशि एकमुश्त दी जा सकती है या किस्तों में दी जाएगी
- इससे उन्हें आर्थिक राहत के साथ-साथ भविष्य की सुरक्षा भी मिलेगी
कई महिलाएं जिन्होंने वर्षों तक कम वेतन में सेवा दी, अब उन्हें मेहनत का सही मोल मिलने जा रहा है।
सहायिकाओं के जीवन में उम्मीद की नई किरण
अभी तक सबसे ज्यादा उपेक्षा का सामना आंगनवाड़ी सहायिकाओं को करना पड़ा। वे केंद्रों में बच्चों की देखभाल, पोषण वितरण और साफ-सफाई जैसे जरूरी कार्य करती हैं, लेकिन उन्हें बहुत कम वेतन मिलता था।
अब जब उनका वेतन बढ़ाकर ₹20,300 प्रतिमाह कर दिया गया है, तो: वे आर्थिक रूप से अधिक आत्मनिर्भर बनेंगी, अपने परिवार की बुनियादी जरूरतें बेहतर तरीके से पूरी कर पाएंगी, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दे सकेंगी, यह बदलाव उनके आत्मसम्मान को भी मजबूत करेगा।
वेतन वृद्धि से सेवाओं की गुणवत्ता पर सकारात्मक असर
जब कर्मचारियों को अच्छा वेतन मिलता है, तो उसका सीधा असर उनके काम में दिखता है। अब आंगनवाड़ी कर्मचारियों को आर्थिक तनाव से कुछ राहत मिलेगी, जिससे वे अपने कार्य पर पूरी तरह ध्यान दे सकेंगी।
इसके प्रमुख लाभ होंगे:
- केंद्रों में बच्चों की बेहतर देखभाल
- पोषण वितरण में पारदर्शिता
- सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार
- कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा
- इससे पूरे समाज को फायदा होगा क्योंकि मजबूत जड़ें ही मजबूत राष्ट्र बनाती हैं।
योग्यता और आयु सीमा की जानकारी
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बनने के लिए सरकार द्वारा कुछ शर्तें तय की गई हैं:
- न्यूनतम योग्यता: 12वीं पास
- आयु सीमा: 18 से 40 वर्ष
- कुछ राज्यों में आरक्षित वर्गों को आयु में छूट भी दी जाती है।
वेतन बढ़ने के बाद अब यह नौकरी महिलाओं के लिए और अधिक आकर्षक बन गई है। इससे योग्य और शिक्षित महिलाएं इस क्षेत्र में जुड़ने के लिए आगे आएंगी।
भविष्य में और बढ़ोतरी की संभावना
इस फैसले ने भविष्य के लिए कई रास्ते खोल दिए हैं। सूत्रों और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में आंगनवाड़ी कर्मचारियों के वेतन में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार:
- भविष्य में वेतन ₹40,000 से ₹50,000 तक पहुंच सकता है (यदि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय ले)
- उन्हें स्थायी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग भी तेज हो सकती है
- पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में भी शामिल किया जा सकता है
अगर ऐसा होता है तो लाखों महिलाओं का भविष्य सुरक्षित हो सकता है।
आर्थिक सशक्तिकरण की ओर एक मजबूत कदम
गुजरात हाई कोर्ट का यह फैसला केवल वेतन वृद्धि नहीं बल्कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत पहल है।
यह कदम सरकार और न्यायपालिका के उस दृष्टिकोण को दर्शाता है जिसमें निचले स्तर पर काम करने वाली महिलाओं को भी बराबर का सम्मान और अधिकार मिलना चाहिए।
अगर अन्य राज्य भी इसी तरह कदम उठाते हैं, तो यह भारत में महिला सशक्तिकरण के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।
